Wednesday, July 7, 2010

जमूरे के आइने में मीडिया का चेहरा


ड्रिम-ड्रिम...ड्रिम-ड्रिम...ड्रिम-ड्रिम... भीड़ को पास आते देख मौका बढ़िया समझकर मदारी ने डमरू बजाना शुरु ही किया था कि जमूरा बोल पड़ा...
‘उस्ताद... उस्ताद जरा ठहर जाओ...’
क्यों...? मदारी ने जमूरे को ऐसी टेढ़ी निगाहों से देखा मानो खा जाएगा...
‘उस्ताद अभी मूड नहीं है तमाशा दिखाने का... थोड़ी देर बाद दिखाएंगे तमाशा’ जमूरे के स्वर में अनुरोध था...
‘अबे चुप रह... मूड नहीं है... अब तेरे मूड पर हमारा तमाशा चलेगा’... मदारी ने जमूरे को झिड़क दिया...
क्यों उस्ताद... आखिर मैं भी तुम्हारा जमूरा हूं... मुझसे ही तो तुम्हारा तमाशा चलता है... जमूरे ने कहा..
जमूरे की बात सुन मदारी ने तीखे स्वर में कहा- ‘तो क्या तुम्हारा गुलाम बन जाऊं... फिर तो हो गया काम... अरे अपने देश के नेता जनता के दम पर ही राजयोग भोगते हैं... लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि वो जनता को सिर पर बिठा लें... फिर तो हो गया राज योग... तब तो न राज होगा और न भोग का योग बनेगा...’
‘लेकिन उस्ताद...!’ जमूरे ने कुछ कहना चाहा, लेकिन मदारी ने डांट दिया-
‘अबे चुप... चल तैयार हो जा पब्लिक जुट गई है... और अपना चेहरा सुधार.. वर्ना इस मुर्दा चेहरे को पब्लिक देखने से रही’
इतना कहकर मदारी ने जमूरे की ओर से मुंह फेरा और पब्लिक से मुखातिब हो गया... जमूरा भी मन मारकर तमाशा दिखाने के लिए तैयार हो गया...
‘मेहरबान... कदरदान...!’ मदारी ने जमूरे पर निगाह मारी और पब्लिक से बोला... जमूरा तैयार है आपको तमाशा दिखाने के लिए... जमूरे...?
‘बोलो उस्ताद...!’ जमूरे ने मरी आवाज में कहा..
‘तमाशा दिखाएगा...?’ मदारी ने जोर से पूछा
‘दिखाना ही पड़ेगा उस्ताद...’ जमूरे ने उसी अंदाज में कहा
‘जो पूछूंगा बताएगा...?’ जमूरे का जवाब सुन मदारी ने संशय भरे स्वर में पूछा
‘बताऊंगा उस्ताद...’ जमूरे ने कहा... जमूरे का जवाब सुन मदारी ने पूछना शुरु किया-
‘तो बता... इस हफ्ते की शख्सियत...?’
‘धोनी की घोड़ी...’
क्या मतलब...?
मतलब साफ है उस्ताद...! जमूरे ने कहा- ‘धोनी के शादी के दिन जब मीडिया वालों को कुछ नहीं मिला तो उन्होने धोनी जिस घोड़ी पर चढ़े उसे ही ब्रेकिंग और एक्सक्लूसिव बनाकर दिखाना शुरु कर दिया.. अब तुम्ही बताओ उस्ताद मीडिया की नजरों में जो एक्सक्लूसिव है वो खास तो है ही अब चाहे वो घोड़ी ही क्यों न हो...’
जमूरे को लेक्चर देते देख मदारी ने तुरंत बात मोड़ी- ‘अच्छा अब रहने दे और चल अगले सवाल का जवाब दे...
‘पूछो उस्ताद...’
‘तो बता,... ‘आज के समय में सच के नाम पर बोला जानेवाला सबसे बड़ा झूठ...?’ मदारी ने जमूरे से अगला प्रश्न किया...
‘टीवी पर आने वाले रिअलटी शो... इस समय इनसे बड़ा झूठ कोई नहीं है... टीआरपी के चक्कर में रियल के नाम पर क्या कुछ नहीं दिखाया जाता है।’
‘जहां न पहुंचे रवि...?’ मदारी ने जैसे ही अगला सवाल पूछना चाहा, भीड में से कोई बोल उठा- ‘वहां पहुंचे कवि...’
‘… नहीं उस्ताद, जहां न पहुंचे रवि, वहां पहुंचे मीडिया...’ मीडिया को देखो हर जगह पहुंचा नजर आता है, चाहे जरुरत हो या न हो...
‘अच्छा जमूरे पल में तोला-पल में माशा मुहावरे का मतलब बता...’ जमूरे को मीडिया की धोती उतारते देख मदारी ने उसका ध्यान हटाने के लिए अगला सवाल किया।
‘उस्ताद, कभी अपने तमाशे से मौका निकाल कर मीडिया का तमाशा देख लो... मतलब अपने आप समझ में आ जाएगा...’ जमूरे ने जवाब दिया
‘क्या मतलब...?’
‘अरे उस्ताद...!’ जमूरे ने जैसे वो उकता गया हो वैसे जवाब दिया- ‘क्या इत्ती सी बात को भेजे में घुसाने के लिए परेशान हो... उस्ताद मीडिया ही तो है, जो पल में तोला-पल में माशा नजर आती है... अभी देखो कितने दिन की बात है- इंडियन टीम श्रीलंका में न्यूजीलैंड को हराकर आईसीसी की टॉप रैंकिंग पर पहुंच गई थी तो मीडिया ने टीम की तारीफ में जमीन आसमान एक कर दिया था.. लेकिन अगले ही दिन श्रीलंका के हाथों पिटकर इंडियन टीम जब अपनी टॉप की रैंकिंग गंवा बैठी तो इस मीडिया ने टीम की मिट्टी पलीद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी... यही नहीं जब इंडिया ने फिर श्रीलंका को हरा कर कांपैक कप पर कब्जा जमा लिया तो फिर मीडिया इंडियन टीम की आरती उतारने लगा... अब तुम्ही बताओ उस्ताद, पल में तोला पल में माशा के मुहावरे के लिए मीडिया से बड़ा उदाहरण कौन है..’
जमूरे के जवाब पर भीड़ ने ताली बजाई…
अच्छा ये बता सबसे बडा तमाशेबाज... मदारी ने ये सोचकर कि जमूरा इसबार जवाब में उसे बतायेगा और फिर उसका और पब्लिक का ध्यान मीडिया से हटकर दूसरी ओर हो जाएगा...
उस्ताद सबसे बड़ा तमाशेबाज भी मीडया ही है... 24 घंटे मीडिया तमाशा ही तो दिखाता रहता है... कभी ब्रेकिंग, तो कभी एक्सक्लूसिव तो कभी सबसे पहले तो कभी सबसे बड़ी खबर के नाम पर... ये तमाशा नहीं तो और क्या है... और पब्लिक भी सबकुछ जानने समझने के बावजूद इस तमाशे को खूब देखती है... अब तुम्ही बताओ उस्ताद कि मीडिया से बड़ा तमाशेबाज कौन है...
जमूरे की ये बात सुनकर भीड़ में सन्नाटा छा गया उधर जमूरे को मीडिया की मिट्टी पलीद करते देख मदारी घबड़ा गया... उसे डर लगने लगा कि जमूरे की इस कारस्तानी का खामियाजा कहीं उसे न भुगतना पड़े और जमूरे से नाराज मीडिया उसकी चढ्ढी न उतार दे... मदारी मीडिया की ताकत से वाकिफ था... और जानता था कि अभी मीडिया की खिंचाई पर ताली बजा रही पब्लिक उस समय भी सिर्फ ताली ही बजाएगी... आखिर पब्लिक को और आता ही क्या है... नहीं तो क्या नेता, क्या मीडिया और क्या उस जैसा मदारी पब्लिक को बेवकूफ बनाकर अपनी अपनी रोटिया सेंकते रहे... मदारी को लगा कि बात हद से ज्यादा बिगड़ जाए और मीडिया को भनक लगे उससे पहले ही तमाशा बंद कर देने में भलाई है... लिहाजा उसने जमूरे को झिड़का और तमाशा बंद कर दिया... तमाशा खत्म होते ही पब्लिक भी खिसक ली...
उधर अकेला पडा जमूरा सोच रहा था कि उसने आखिर क्या गलत कहा था, जो उस्ताद ने बीच में ही तमाशा रोक दिया... अगर आपको जमूरे की गलती दिखाई दे तो बताइएगा जरूर...